Option Buying vs Option Selling Which Best |ऑप्शन बाइंग और सेलिंग इनमे से कौन बेस्ट है ?

Option Buying vs Option Selling Which Best

  • ऑप्शन बाइंग मे लिमिटेड लॉस और अनलिमिटेड प्रॉफिट हो सकता है ऑप्शन बाइंग कम रिस्की है अगर तुलना ऑप्शन सेलिंग से करे तो जब हम ऑप्शन को बाय करते है तो जो प्रीमियम हमने पे किया है वही हमारा रिस्क होता है अगर एक्सपायरी तक हमारे द्वारा बाय किया हुआ ऑप्शन वर्क नही करता तो हम वही लॉस होगा जो हमने प्रीमियम पे किया है
  • ऑप्शन सेलिंग मे रिस्क है क्योकि यहा पर लिमिटेड प्रॉफिट और अनलिमिटेड लॉस की संभावना होती है ऑप्शन सेलिंग मे हमे प्रीमियम मिलता है इस प्रीमियम को हम और अंडरलाइन एसिड को खरीद या  बेच सकते है यदि बाजार हमारे डायरेक्शन से विपरीत चला जाए तो हमे अनलिमिटेड लॉस की संभावना होती है इस लॉस को लिमिटेड करने के लिए हमे रिस्क मैनेजमेंट एडवांस्ड एक्सपीरियस की आवश्यकता होती है
  •  कुल मिलाकर ऑप्शन बाइंग मे लिमिटेड रिस्क है और ऑप्शन सेलिंग मे अनलिमिटेड रिस्क है 

IMPORTENT POINTS

  • ऑप्शन एक कॉन्ट्रैक्ट है जो पूर्व निर्धारित प्राइस पर किसी एसेट को बाय सेल करने का अधिकार देता है लेकिन दायित्व नही ऑप्शन हर एक कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी डे फिक्स होती है जो सेबी की तरफ से फिक्स किया गया एक सर्कुलर है
  • ऑप्शन बायर की प्रीमियम के लॉस का रिस्क होता है और अनलिमिटेड प्रॉफिट हो सकता है
  • ऑप्शन सेलर प्रीमियम रिसीव करता है ऑप्शन सेलर को लिमिटेड प्रॉफिट और अनलिमिटेड लॉस हो सकता है
  •  यदि ऑप्शन सेलर स्प्रेड का प्रयोग करता है तो यह उसके प्रॉफिट और लॉस को सीमित कर देता है
  • ऑप्शन बायर और सेलर दोनो के अपने फायदे और नुकसान है इन्हे समझने से हमे यह पता चल जाएगा कि हम ऑप्शन बाय करे या सेल कौन सी स्ट्रेटजी हमारे लिए सही है 

ऑप्शन क्या है ?

  • ऑप्शन एक डेरिवेटिव कांट्रैक्ट है जिसकी एक फिक्स एक्सपायरी डेट होती है इस एक्सपायरी से पहले हम उसे कॉन्ट्रैक्ट को बाय या सेल कर सकते है अगर हम इसे लॉन्ग टाइम तक hold करना है तो उसे रोलओवर करते रहना होगा यह अंडरलाइन एसेट स्टॉक इंडेक्स बॉन्ड कमोडिटी करेंसी आदि हो सकते है
  • ऑप्शन दो प्रकार के होते है कॉल और पुट  कॉल ऑप्शन की हेल्प से हम एसेट को बाय कर सकते है उदाहरण के लिए किसी स्टॉक का कॉल ऑप्शन खरीद सकते है उसकी एक्सपायरी तक इसके विपरीत पुट ऑप्शन ट्रेंड को एसिड को सेल करने का अधिकार देता है जब हम कॉल ऑप्शन को सेल करते हैं तो हम स्टॉक को स्ट्राइक प्राइस पर उसे बाय करते है इसके विपरीत यदि हम पुट ऑप्शन को सेल करते है तो एक स्टॉक को स्ट्राइक प्राइस पर उसे बाय करते है

Tip

  • ऑप्शन का main प्रयोग अंडरलाइन एसेट को मौजूदा स्थिति को हेज करने के लिए ऑप्शन का प्रयोग किया जाता है इसके अलावा ऑप्शन का प्रयोग मार्केट की डायरेक्शन का अनुमान लगाने के लिए भी किया जाता है उदाहरण के लिए हमें लगता है कि स्टॉक की प्राइस अप जा सकती है तो हम कॉल ऑप्शन को बाय करेगे दूसरी और एक निवेशक अपने स्टॉक मे संभावित गिरावट से बचने के लिए पुट ऑप्शन बाय कर सकता है 

 

Understanding Buying Vs Selling 

  • ऑप्शन बाइंग कम रिस्की है जबकि ऑप्शन सेलिंग मे रिस्क बहुत ज्यादा है ऐसा इसलिए है क्योकि जब हम कोई ऑप्शन  खरीदते हैं तो हमे सिर्फ प्रीमियम pay कर रहे होते है यदि ऑप्शन एक्सपायरी तक काम नही करता तो हमे सिर्फ प्रीमियम का ही लॉस होगा ऑप्शन सेलर मे प्रॉफिट कम लॉस ज्यादा होता है जब हम ऑप्शन सेल करते है तो हमे प्रीमियम रिसीव होता है अगर मार्केट ऑप्शन सेलर के विपरीत चल जाए तो उसे अनलिमिटेड लॉस की संभावना होती है

Risk / Return Profit of Buying Vs Selling Options Which  Best

Maximum potential gain Maximum potential loss
Long call-अनलिमिटेड प्रॉफिट होता है जो हमने प्रीमियम पर किया है वही हमारा लॉस होता है
Long put-स्ट्राइक प्राइस और जीरो का डिफरेंस जब स्टॉक डाउन जाएगा जो हमने प्रीमियम रिसीव किया है वही हमारा मैक्सिमम प्रॉफिट है
Short call-जो हमने प्रीमियम रिसीव किया है वही हमारा मैक्सिमम प्रॉफिट है लॉस हमारा अनलिमिटेड है
Short put-जो हमने प्रीमियम रिसीव किया है वही हमारा मैक्सिमम प्रॉफिट है स्ट्राइक प्राइस और जीरो का डिफरेंस जब स्टॉक डाउन जाएगा

 

ऑप्शन बाइंग मे कितना रिस्क है

  • ऑप्शन बाइंग मे रिस्क होता है लेकिन वह रिस्क लिमिटेड होता है अगर एक्सपायरी तक ऑप्शन हमारे डायरेक्शन ma नही जाता तो प्रीमियम 0 हो जाएगा यह विशेष रूप से ओटीएम ऑप्शन के लिए सच है यहा पर लाभ कमाने की संभावनाएं कभी कभार होती है
  •  दूसरा रिस्क जो ऑप्शन बाइंग में होता है वह है टाइम डीके किसी ऑप्शन की एक्सपायरी डेट नजदीक आती है तो उसका मूल्य स्वाभाविक रूप से कम होता जाता है हमे न केवल स्ट्राइक की दिशा के बारे में सही होना है बल्कि उसकी दिशा मे सही होनी चाहिए अगर हर दिन अंडरलाइन एसिड  बिना किसी मूवमेंट के चलता है तो ऑप्शन के मूल्य मे गिरावट आती है
  •  तीसरा रिस्क जो ऑप्शन बाइंग मे होता है जब बड़ी हुई अस्थिरता आपके द्वारा खरीदे गए ऑप्शन के मूल्य को बढ़ा सकती है घटी हुई अस्थिरता विपरीत प्रभाव डाल सकती है भले ही अंडरलाइन एसिड हमारे दिशा मे बढ़ रहा हो इसे वोलैटिलिटी रिस्क के रूप मे जाना जाता है यह ऑप्शन बायर के लिए बहुत खतरनाक होती है ऑप्शन ट्रेडिंग मे एक्स्ट्रा चार्ज को भी ध्यान मे रखा रखना चाहिए यह हमारे प्रॉफिट को कम कर देती है

ऑप्शन सेलिंग मे कितना रिस्क है

  • ऑप्शन सेलिंग मे असीमित नुकसान का खतरा होता है लेकिन इस अनलिमिटेड रिस्क की बात से ट्रेडर सुरक्षित रहना पसंद करते हैं और ट्रेड डिसिप्लिन मे लेना सही समझता है उदाहरण के लिए कई ऑप्शन सेलर ऐसी स्ट्रेटजी अपनाते है जो नुकसान को कम कर सके जैसे स्टॉप लॉस आर्डर का प्रयोग करना या स्प्रेड या कवर्ड कॉल जैसे पावरफुल स्ट्रेटजी का प्रयोग करके ऑप्शन सेल करना जो अनलिमिटेड लॉस को कम कर देती है
Important 
  • ऑप्शन सेलिंग से जो प्रीमियम रिसीव होता है वह होने वाले नुकसान को कम कर सकता है जो पोजीशन ब्रेक इवन पर है उसे प्रॉफिट मे बदल सकते है जो प्रीमियम हमे रिसीव किया होता है वह लॉस की तुलना मे काम होता है तो इसका उसे प्रयोग बफर के रूप मे किया जाता है

Pros And Cons of ऑप्शन बाइंग

Pros Cons
अनलिमिटेड यूपीएसआइड पोटेंशियल ऑप्शन प्राइस डीके एवरी टाइम
लिमिटेड डाउनसाइड रिस्क हमने जो प्रीमियम पर किया है वही हमारा मैक्सिमम लॉस होता है

 

Pros And Cons of ऑप्शन सेलिंग

Pros Cons
यहां पर हमें टाइम दिखेगा बेनिफिट होता है यहां पर अनलिमिटेड लॉस का खतरा रहता है
यहां पर प्रीमियम को कलेक्ट करके इनकम जनरेट कर सकते हैं प्रॉफिट लिमिटेड होता है और यहां पर मार्जिन की रिटायरमेंट ज्यादा होती है

 

ऑप्शन बाइंग VS सेलिंग कौन बेस्ट

  • ऑप्शन ट्रेडिंग जटिल है और इसके लिए बाजार और ट्रेडिंग  स्ट्रेटजी की अच्छी समझ होनी चाहिए शुरुआती ट्रेडर ऑप्शन बाइंग करना पसंद करते हैं क्योकि यहा अनलिमिटेड प्रॉफिट और लिमिटेड लॉस होता है क्योकि जो लॉस है वह हमारे द्वारा पे किया गया प्रीमियम है और ऑप्शन बायर इसे आसानी से समझ जाता है ऑप्शन सेलर मे काफी जटिल स्ट्रेटजी की आवश्यकता होती है इसके लिए ऑप्शन ट्रेडर को मार्केट का अच्छा अनुभव होना चाहिए
  • ऑप्शन सेलिंग मे अगर हम नेकेड ऑप्शन को सेल करते है तो हम अधिक मार्जिन की आवश्यकता पड़ती है अगर हमारा ट्रेडिंग अकाउंट कम अमाउंट है तो हम ऑप्शन सेलिंग नही कर पाएगे ऑप्शन बायर को अधिक अमाउंट की आवश्यकता नही होती है वह स्मॉल अमाउंट से भी ट्रेड स्टार्ट कर सकते है
  •  यदि हम तत्काल इनकम जनरेट करना चाहते है तो ऑप्शन सेलिंग करना चाहिए जिससे हमे प्रीमियम रिसीव होता है
  •  ऑप्शन बायर और सेलर का निर्णय सभी ट्रेडर का एक जैसा नही होता है यह हमारे निवेश लक्ष्य जोखिम सहनशीलता बाजार दृष्टिकोण और यहा तक कि हमारे ट्रेडिंग अनुभव के स्तर के आधार पर भी भिन्न होता है  अधिकतर ट्रेडर ऑप्शन बाइंग करना पसंद करते है क्योकि कम लागत मे ट्रेड करना स्टार्ट कर सकते है
  • https://www.youtube.com/watch?v=GMqX_ua-4nY

FAQ

किसी OPTION को बेचना या किसी स्टॉक को SHORT करना क्या डिफरेंस है?
  • कॉल ऑप्शन बेचना और स्टॉक को शॉर्ट करना दोनो मे ही हम प्राइस के गिरने पर दाव लग रहे होते है( अगर हम पुट ऑप्शन को सेल करते है तो यह तेजी का संकेत है) ऑप्शन ट्रेडिंग मे अलग-अलग जोखिमो के लेवल्स के लिए अलग-अलग  स्ट्रेटजी की हेल्प ली जाती है
  •  जब हम स्टॉक को शॉर्ट कर रहे होते है तो हम उसे स्टॉक को उधार ले रहे होते है और यह उम्मीद लगा रहे होते है कि शेयर की प्राइस नीचे गिरेगी और हम उसे खरीद लेगे स्टॉक को सेल करने से बाय करने के अंतर हमारा प्रॉफिट होगा अगर स्टॉक की प्राइस सेल करते ही बढ़ना स्टार्ट कर देती है तो हमे लॉस होगा
क्या आप खरीद और बिक्री के विकल्पों को जोड़ सकते हैं?
  • हां ऐसी कई स्ट्रैटेजिक है जहां बाय और सेल एक साथ किया जा सकता है इसमे स्प्रेड बटरफ्लाई आयरन कंडोर आदि शामिल है इन स्ट्रेटजी का प्रयोग अपने जोखिम को कम करने के लिए किया जाता है और अपनी पोजीशन को हेज करने के लिए भी इनका  प्रयोग कर सकते है इन स्ट्रेटजी  की ट्रेडर को  समझ होनी चाहिए मार्केट की विपरीत डायरेक्शन होने पर ट्रेड को एडजस्टमेंट करने के लिए हमे कई बार बाय और सेल करने पड़ते है जिसे ट्रेडिंग शुल्क बढ़ जाता है
क्या मैं EXPIRY से पहले एक OPTION TRADING से बाहर निकल सकता हूँ?
  • हां अमेरिकी शैली के ऑप्शन में हम एक्सपायरी तक ऑप्शन ट्रेड से बाहर निकाल सकते है ऑप्शन बायर जब कॉल ऑप्शन खरीदना है और उसका मूल्य बढ़ता है तो उसे सेल  कर दिया जाता है अगर ऐसा नही होता तो एक्सपायरी तक वेट करे

CONCLUSION 

  • ऑप्शन बाइंग में रिस्क कम होता है जबकि ऑप्शन सेलिंग मे रिस्क ज्यादा होता है ऑप्शन ट्रेडिंग की हेल्प से हम अवसर को एनालाइज करते है ट्रेड हमारी डायरेक्शन मे न होने पर हमे लॉस का सामना भी करना पड़ सकता है ऑप्शन बाइंग मे लॉस सीमित है जबकि ऑप्शन सेलिंग मे लॉस असीमित है इस पहलुओ को समझ कर ही हमे ऑप्शन ट्रेडिंग करनी चाहिए क्योकि यहा पर रिस्क भी बहुत है ऑप्शन ट्रेडिंग करने से पहले इसे सीखना चाहिए अभ्यास करना चाहिए तब जाकर हमारा आत्मविश्वास बढ़ेगा और हम ट्रेड करने के लिए तैयार होगे

आज हम इस पोस्ट मे Option Buying vs Option Selling Which Best विस्तार से समझा। यदि यह जानकारी आपको पसंद आई हो तो इसे अपने सोशल मीडिया अकॉउंटस पर जरूर शेयर करे।
यदि आपके कोई सवाल या सुझाव है तो आप मुझे कमेंट करके बता सकते है।

नमस्कार दोस्तो ! मै Bhhawwani Shankaar Saini stockmarketsaamjho ब्लॉग का फाउंडर हूँ। मै stockmarketsaamjho ब्लॉग पर शेयर मार्केट, पर्सनल फाइनेंस से सम्बंधित जानकारिया शेयर करता हूँ।

Leave a comment