ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करे
- Options ट्रेडिंग करने के लिए क्या करना पड़ता है
- ऑप्शंस ट्रेडिंग में जो लेवरेज दी जाती है जिसके कारण बिग प्रॉफिट OR लॉस होने की संभावनाए होती है इस लेवरेज से निवेशक अपने पोर्टफोलियो को सेफ कर सकते है जबकि सट्टेबाज को प्राइस के उतार-चढ़ाव से प्रॉफिट बनाने का मौका मिलता है यही उतार चढ़ाव ऑप्शन ट्रेडर के लिए कई अवसर क्रिएट करते है
- Options ट्रेडर को इस बात का पता होना चाहिए कि ऑप्शन प्राइस कैसे काम करती है इसमे कितना रिस्क है और ट्रेडिंग के लिए बेस्ट प्लेटफॉर्म कौन सा है और उसे प्लेटफार्म पर काम कैसे किया जाता है यह सब जानकारियां होनी चाहिए एक ऑप्शन ट्रेंड को
- यह बेसिक terms जो एक ऑप्शन ट्रेंड को पता होनी चाहिए
ऑप्शन को ट्रेड कैसे करे?
Understand The Basic
- Options ट्रेड करने से पहले हमें इन टॉपिक के बारे में जानकारी होनी चाहिए
- Options दो प्रकार के होते है : calls vs puts
- Options का प्राइस निर्धारण कैसे होता है (itm vs otm vs atm)
- Options की प्राइस कैसे बदलता है (option greeks)
- Options अकाउंट कैसे ओपन करें और ट्रेड कैसे शुरू करे
- Options ट्रेडिंग में अपना पैसा खोने से कैसे बचे
Call Vs Put Options Defined
- Options ट्रेड की सिक्योरिटीज की प्राइस के साथ क्या हो सकता है इस पर लेवरेज दाव लगाने की अनुमति देता है for example nifty- 50 के ऑप्शंस स्टैंडर्ड मे 50 शेयर को नियंत्रित करता है और इसकी निर्धारित स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट होती है
- ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट होल्डर को शेयर बाय या सेल के अपने अधिकारो का प्रयोग करने की आवश्यकता नही है
- वे ऑप्शन को बेकार समाप्त होने दे सकते है (और उस ऑप्शन को बाय करने में जो प्रीमियम दिया है उसे खो सकते है) या वे ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को किसी ट्रेडर को sell कर सकते हैं जो उन्हे पे करने के लिए रेडी हो
- जब ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की प्राइस बढ़ती है तो ऑप्शन ट्रेडर को मुनाफा होता है
- https://www.youtube.com/watch?v=yjyPdd7TQu0
कॉल VS पुट
- कॉल ऑप्शन हमे सिक्योरिटी को एक्सपायर होने से पहले बाय करने का अधिकार देता है अगर एक्सपायरी तक शेयर की प्राइस बढ़ जाती है तो हमारे ऑप्शन की स्ट्राइक प्राइस भी बढ़ती है और हमे प्रॉफिट होता है हमेशा कॉल ऑप्शन का प्रयोग तेजी वाले मार्केट मे करते है
- पुट ऑप्शन हमे सिक्योरिटी को एक्सपायर होने से पहले सेल करने का अधिकार देता है अगर एक्सपायरी तक शेयर की प्राइस गिरती है तो हमारे ऑप्शन की स्ट्राइक प्राइस भी गिरती है और हमे प्रॉफिट होता है हमेशा पुट ऑप्शन का प्रयोग गिरते हुए मार्केट मे करते है
- कॉल ऑप्शन का प्राइस आमतौर पर पड़ेगा बढ़ेगा क्योकि अंडरलाइन सिक्योरिटी की प्राइस बढ़ जाती है जबकि पुट ऑप्शन की प्राइस सिक्योरिटी की प्राइस मे गिरावट के साथ बढ़ जाएगी लेकिन कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स है जो ऑप्शन प्राइस निर्धारण मे शामिल होते है जिनके बारे मे प्रत्येक ऑप्शन ट्रेडर को पता होना चाहिए और अंडरलाइन शेयर की प्राइस उनमे से केवल एक है
European Vs American Options
- कॉल ऑप्शन का प्रयोग तब किया जाता है जब मार्केट अप ट्रेंड मे हो तो long पोजिशन बनाई जाती है पुटऑप्शन का प्रयोग तब किया जाता है जब मार्केट डाउन ट्रेंड मे हो तो शॉर्ट पोजिशन बनाई जाती है
- अमेरिकी ऑप्शन का उपयोग एक्सपायरी होने से पहले किसी भी समय किया जा सकता है लेकिन यूरोपीय ऑप्शंस का प्रयोग एक्सपायरी वाले दिन ही किया जाता है दोनो ऑप्शंस को बाय और सेल किया जा सकता है एक्सपायरी वाले दिन अधिकतर एक्सचेंज ट्रेडेड सिक्योरिटीज अमेरिकी शैली के ऑप्शंस होते हैं जबकि अधिकाश इंडेक्स बेस्ट ऑप्शंस यूरोपियन शैली के ऑप्शन होते है
Bid
- बिड वह प्राइस है जिस पर आप मार्केट ऑर्डर के साथ ऑप्शंस बेच सकते है यह हाईएस्ट लिमिट ऑर्डर की प्राइस है जिसे किसी भी एक्सचेंज का खरीददार उसे कॉन्ट्रैक्ट को खरीदने के लिए तैयार है जिसे आप बेचना चाहते है
Ask
- आस्क वह प्राइस है जिस पर आप मार्केट ऑर्डर के साथ ऑप्शंस खरीद सकते है यह लोएस्ट लिमिट ऑर्डर की प्राइस है जिसे किसी भी एक्सचेंज का विक्रेता उसे कॉन्ट्रैक्ट को बेचने के लिए तैयार है जिसे आप खरीदना चाहते है
Volume
- यह उन ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट की संख्या है जिन्होने आज इस स्पेसिफाई कॉन्ट्रैक्ट पर लेनदेन किया है मान लीजिए किसी कंपनी के 100k के स्टॉक एक ही ट्रेडिंग दिन मे बाय और सेल किए तो उन स्टॉक का ट्रेडिंग वॉल्यूम 200k होगा भले ही वही 100k स्टॉक मार्केट मे ट्रेड कर रहे है
Open Interest
- ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट जो खरीदे जा चुके है और अभी भी प्रयोग के लिए उपलब्ध है उन्हे ओपन इंटरेस्ट के हिस्से के रूप मे गिना जाता है इस संख्या मे वे ऑप्शन शामिल है जो खरीद या बिक्री दोनो के रूप मे शुरू किए जाते है इसलिए ओपन इंटरेस्ट मे लौग और शर्ट दोनो स्थितिया शामिल होती है
Strike Price
- स्ट्राइक प्राइस वह कीमत है जिस पर ऑप्शन खरीददार खरीदने( कॉल ऑप्शन के मामले मे) या बेचने ( पुट ऑप्शन के मामले मे) के अधिकार का प्रयोग कर सकता है प्रत्येक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की एक स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट होती है
Expiry Date
- एक्सपायरी डेट के बाद ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट का प्रयोग नही किया जा सकता इस डेट पर ट्रेडिंग बंद होने तक ऑप्शंस buyer अपने अधिकार का प्रयोग कर सकता है मतलब buying-selling कर सकता है जो ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायर हो चुके होते है उनके नेक्स्ट मंथ वाले ऑप्शंस मे ही हम काम कर सकते है
Vega
- यह ऑप्शन ग्रीक्स अस्थिरता मे परिवर्तन के प्रति ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट की संवेदनाशीलता को मापता है यदि किसी ऑप्शन की implied वोलैटिलिटी एक प्रतिशत अंक से बढ़ जाती है तो ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की प्राइस (बाकी सभी सामान ) मै भी वृद्धि होगी
Theta
- एक अन्य ऑप्शन ग्रीक्स थीटा time decay के कारण अगले 24 घंटे में एक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की प्राइस मे गिरावट को मापता है जैसे-जैसे एक्सपायरी पास आती है थीटा का मान बढ़ता जाता है
Delta
- यह ऑप्शन गिरी अंडरलाइन सिक्योरिटी की प्राइस मे परिवर्तन के प्रति ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की संवेदनशीलता का माप है यदि अंडरलाइन स्टॉक या अन्य सिक्योरिटी की प्राइस मे ₹1 की वृद्धि होती है तो ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की प्राइस में डेल्टा प्राइस( बाकी सभी समान ने पर) मे वृद्धि होनी चाहिए
Gamma
- गामा डेल्टा मे होने वाले परिवर्तन को बताता है यह डेल्टा से रिलेटेड ऑप्शन ग्रीक है यह एक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के डेल्टा स्कोर मे परिवर्तन का माप है यदि अंडरलाइन सिक्योरिटी एक रुपए बढ़ जाती है
- यदि अंडरलाइन लिस्ट हो गया अन्य सिक्योरिटी की प्राइस मे पड़ जाती है आने से भी चीज समान होती है तो ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की प्राइस मे पहले रुपए की वृद्धि के लिए डेल्टा प्राइस और दूसरे रुपए की बढ़त के लिए डेल्टा और गम प्राइस मे वृद्धि होनी चाहिए ₹1 मे बढ़ोतरी से गम मे तेजी देखने को मिलती है
At-The-Money(ATM)
- अंडरलाइन सिक्योरिटी के वर्तमान प्राइस के निकटतम स्ट्राइक प्राइस वाले ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को एट द मनी कहा जाता है एटीएम कॉन्ट्रैक्ट व्यक्तिपरक होता है जब प्राइस दो स्ट्राइक प्राइस के बीच समान रूप से होती है लेकिन उसे इस स्ट्राइक पर विचार करना नॉर्मल बात है
In-The-Money(ITM)
- इन थे मनी ऑप्शंस मे आंतरिक मूल्य होता है जिसे स्ट्राइक प्राइस अंडरलाइन ऐसेट की स्पोर्ट प्राइस कम है
Out-The-Money(OTM)
- ओटीएम ऑप्शंस का कोई एंट्रेंस वैल्यू नही है क्योकि स्ट्राइक प्राइस मार्केट प्राइस की तुलना मे अनुकूल नही है ओटीएम ऑप्शंस का प्रयोग करना बेकार हुआ
FAQ
ऑप्शन मे ट्रेड कैसे करे?
ऑप्शन ट्रेड करने से पहले हमे ट्रेडिंग अकाउंट ओपन करना होगा उसके बाद ही हम ऑप्शन ट्रेड कर सकते है ऑप्शन ट्रेडिंग हम इक्विटी मार्केट करेंसी मार्केट कमोडिटी मार्केट आदि मे कर सकते है
ऑप्शन कितने टाइप के होते है?
ऑप्शन दो टाइप के होते है
- कॉल ऑप्शन
- पुट ऑप्शन
ऑप्शन कैसे काम करता है?
option किसी स्टॉक कमोडिटी करेंसी के डेरिवेटिव है जो किसी स्टॉक की प्राइस के उतार चढ़ाव से ऑप्शन की कीमत को प्रभावित करते है
CONCLUSION
- ऑप्शन ट्रेडिंग को हमें कैसे सीखना चाहिए कैसे एग्जीक्यूशन करना चाहिए यह सब इस पोस्ट में हमने बताया है ऑप्शन ट्रेडिंग में कौन-कौन से टर्मिनोलॉजी USE की जाती है कौन से टेक्निकल वर्ड्स USE में लिए जाते हैं उन सभी को हमने एक्सप्लेन किया है यह पूरा बेसिक नॉलेज की जानकारी होनी चाहिए ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए THANKS
आज हम इस पोस्ट मे ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करे के बारे मे विस्तार से समझा। यदि यह जानकारी आपको पसंद आई हो तो इसे अपने सोशल मीडिया अकॉउंटस पर जरूर शेयर करे।यदि आपके कोई सवाल या सुझाव है तो आप मुझे कमेंट करके बता सकते है।
4 thoughts on “ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करे | Option Trading in Hindi”